मधुमेह एक ऐसा विकार है जो शास्त्रों में lifestyle विकार माना गया है। मतलब जितना आराम का जीवन उतना ही मधुमेह (Diabetes) अधिकार होने की संभावना ज्यादा। व्यायाम की कमी ज्यादा से ज्यादा आरामदायक जीवन शैली वातानुकूलित वातावरण ज्यादा नींद लेना शरीर को कौन सा भी कष्ट ना देना दैनंदिन जीवन में।
मधुमेह के लक्षण (Symptoms of Diabetes)
1. शरीर भारी लगना
2. वजन अपने आप कम होना,
3. कमजोरी महसूस होना,
4. मूत्र पिंड और मूत्र के विकार ज्यादा से ज्यादा उत्पन्न होना,
5. शरीर में सुई चुभे जैसी भावना उत्पन्न होना,
6. घाव लगने पर घाव जल्दी ना भरना
यह सारे मधुमेहा के लक्षण है।
मधुमेहा के तीन प्रकार माने गए हैं।(Types Of Diabetes)
1.टाइप 1 डायबिटीज :- इसमें शरीर का स्वादुपिंड से इंसुलिन बनना बंद हो जाता है जिसके वजह से शरीर में अतिरिक्त प्रमाण का ग्लूकोस पाया जाता है जिसके वजह से शरीर संतुलित नहीं रह पाता और लक्षण दिखाई देने लगते हैं। यहां एक ऑटोइम्यून डिजीज माना जाता है जो कि अचानक से किसी को भी हो सकता है छोटे से छोटे बच्चे को भी इस स्वीकार में इंसुलिन इंजेक्शन द्वारा दिया जाता है।
2. टाइप 2 डायबिटीज:– इस प्रकार में स्वादुपिंड में से इंसुलिन कब प्रमाण तो बना रहता है मगर उस इंसुलिन से शरीर का ग्लूकोस कम नहीं हो पाता है। इस प्रकार में दवाइयां दी जाती है मगर इंसुलिन के इंजेक्शन 10 या 15 साल बाद चालू हो सकते हैं।
3. Gestational Diabetes :-
यह प्रकार स्त्रियों के गर्भावस्था में उत्पन्न हो सकता है इस प्रकार में गर्भ रहने के कारण ग्लूकोस का प्रमाण शरीर में अत्याधिक हो जाता है। कभी-कभी गर्भावस्था खत्म होने पर यह मधुमेहा चला जाता है 5% स्त्रियों में यहां बाद में भी रहता है जिसके चिकित्सा उम्र भर करनी पड़ती है।
घरेलू उपाय (Diabetes Ayurvedic Treatment in Hindi)
मधुमेहा (Diabetes) एक बार होने के बाद में उसकी चिकित्सा जरूरी ही पड़ती है क्योंकि चिकित्सा ना लेने के वजह से अपने रो हृदय पर आंखों पर किडनी पर और बाकी सभी अवयवों पर उसका प्रभाव दिखने लगता है और दूसरे अवयवों की बीमारियां भी होनी चालू हो जाती है। घर में अपने पूर्वजों को अगर मधुमेहा की शिकायत है तो बच्चों में इसका आना थोड़े प्रतिशत बढ़ जाता है। और उसका ध्यान पहले से अगर रखें तो यह ताला भी जा सकता है। इसके लिए थोड़े बहुत घरेलू उपाय फायदेमंद रहते हैं।
1. हर रोज व्यायाम कसरत करनी चाहिए कम से कम 45 मिनट तक।
2. ज्यादा से ज्यादा घर का खाना रखें बाहर का फास्ट फूड कार्बोनेटेड ड्रिंक्स या मैदे के पदार्थ टालनी चाहिए।
3. जितना हो सके उतना एसी की हवा से दूर रहे जहां पर दैनंदिन काम कर रहे हैं उसका तापमान नॉर्मल रखिए।
4 खाने का पाचन अगर ठीक से ना हो रहा हो तो दो खाने के बीच में 8 घंटे की सीमा रखें जिसके वजह से खाया हुआ खाना पहले अच्छे से बच जाए उसके बाद में ही दूसरा खाना पेट में जाएं।
5. अतिरिक्त प्रमाण में वजन बढ़ाने दे।
6. खाने के बाद 15 से 20 मिनट तक शयन यहां से एक जगह बैठ ना टालें।
7. दोपहर में सोने की आदत हो तो वह आदत छुड़वाए।
8. दिनचर्या अच्छे से अच्छे प्लान करें जल्दी सोए रात में और सुबह जल्दी उठे।
9. सुबह जल्दी उठने की आदत डालें क्योंकि सुबह ब्रह्म मुहूर्त में जो अग्नि प्रज्वलित होती है उसके वजह से शरीर के अवयवों की भी अग्नि संतुलित रह पाती है जिसके वजह से विकार कम से कम उत्पन्न होते हैं।
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About Dr. Nyanisha Desai
प्रज्ञा आयुर्वेदिक मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल की निदेशक डॉ. नयनिशा देसाई हैं। 2009 में, उन्होंने आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज, पेठ वडगाँव, कोल्हापुर में अपना BAMS पूरा किया। वह 2011 से चिंचवड, पुणे में आयुश्री आयुर्वेदिक क्लिनिक और पंचकर्म केंद्र में अभ्यास कर रही हैं। फिर उन्होंने 2018 में प्रज्ञा आयुर्वेद मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल, इंद्रायणी नगर भोसरी की स्थापना की, जिसका उद्देश्य समग्र चिकित्सा के शुद्ध और प्राकृतिक तरीके से रोगियों का इलाज करना था। उन्हें इनफर्टिलिटी और एनोरेक्टल थेरेपी का विशेष अनुभव है।